DU के ग्रेजुएशन कोर्स में बॉलीवुड फिल्में

छात्रों में जागरूकता और समझ विकसित करने के उद्देश्य से डीयू पाठ्यक्रम में बॉलीवुड की फिल्मों को शामिल किया गया है.

दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) ने चार वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम के तहत दर्शन, मनोविज्ञान एवं संचार के नये फाउंडेशन कोर्स में बालीवुड की कुछ हाल की फिल्में 3 इडियट्स, चक दे इंडिया, खुदा के लिए, राक स्टार, तारे जमीं पर आदि को शामिल किया है.

डीयू के कुलपति ने बताया कि चार वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम का मकसद आनर्स और पास प्रोग्राम के बीच के अंतर को दूर करना है. इस नई पहल के माध्यम से छात्र प्रदर्शन करें और अपनी डिग्री हासिल करें. सभी को आनर्स डिग्री प्राप्त करने का समान मौका मिलेगा. उन्होंने कहा कि स्नातक पाठ्यक्र के तहत नये कोर्स पेश किये गए है जिसमें कई तरह की रचनात्मक पहल को बढ़ावा दिया गया है.

डीयू के एक अधिकारी ने कहा कि विश्वविद्यालय के चार वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम के तहत दर्शन, मनोविज्ञान एवं संचार के नये फाउंडेशन कोर्स में बालीवुड की कई हालिया फिल्मों को शामिल किया गया है.

उन्होंने कहा, ‘बालीवुड फिल्मों को शामिल करने का मकसद छात्रों में जागरूकता एवं समझ पैदा करना और संवाद से जुड़ी बुनियादी सोच का विकास करना है. इसके तहत छात्रों में स्वयं एवं समाज से जुड़ी भावनाओं को समझना और अनुभव करने में मदद करना है.’

इस पहल के तहत नये कोर्स में जिन बालीवुड फिल्मों को शामिल किया गया है उनमें 3 इडियट्स, चक दे इंडिया, खुदा के लिए, राक स्टार, तारे जमीं पर, ए वेडनेसडे, दो दूनी चार, डोर, इंग्लिश विंग्लिश, इकबाल, लाइफ आफ पाइ शामिल है.

डीयू के चार वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम के तहत दर्शन, मनोविज्ञान एवं संचार के नये फाउंडेशन कोर्स में पीपली लाइव, रंग दे बसंती, स्वदेश, उड़ान और वेक आप सिड शामिल है. इस कोर्स के तहत छात्रों के लिए कुछ प्रसिद्ध कहानियां भी सुझायी गई है जिनके लेखकों में कृष्णा सोबती, मंटो, प्रेमचंद्र और रवींद्र नाथ टैगोर शामिल हैं. इसके तहत हेनरिक जिमर की किंग एंड कार्प्स, टेल आफ सोल्स कंक्वेस्ट आफ एविल, पंचतंत्र, कथा सरित सागर, उजबेकिस्तान की कहानियां और अरेबियन नाइट्स शामिल है.

डीयू के पत्रकारिता और जनसंचार पाठ्यक्रम के तहत नये कोर्स में अल्फ्रेड हिचकॉक की रियर विंडो, राबर्ट रोसेलिन निर्देशित जर्मन इयर जीरो, सत्यजीत रे की पाथेर पांचाली, श्याम बेनेगल की निशांत, गोविंद निहलानी की आक्रोश, गुरूदत्त की प्यासा आदि सुझाये गए हैं.

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