सात रंग के हम बने, सतरंगी हमारी दुनिया : संगीता मित्तल

सात रंग के हम बने, सतरंगी हमारी दुनिया : संगीता मित्तल

जागरण प्रतिनिधि, होशियारपुर

रंग हमारे जगत में चारों ओर फैला हुआ है। अधिकतर जीवों को अपने ऊपर हुए रंगों का प्रभाव पता ही नहीं चलता। जिस जीव की चेतना शक्ति जितनी प्रबल व पवित्र होती है रंगों का प्रभाव अंतर आत्मा व वातावरण में उसे उतनी ही गहराई से पता चलता है। उक्त बात रेकी विशेषज्ञ संगीता मित्तल ने बुधवार को जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कही। उन्होंने कहा कि आज होली के पावर अवसर पर चलो फिर से एक बार अपने सतरंगी मानव शरीर व वातावरण में इस सतरंगी इंद्रधनुष रंगों के खेल की महत्ता का फिर से एक बार जिक्र कर सबको इसकी तरह जागरूक करने का प्रयास करते हैं। रंगों का एक अलग ही मनोविज्ञान है। रंग रोशनी की एक किरण है, जो तरंगों की तरह सूरज से हमारी तरफ बिखरते रहते हैं। वैसे ही जैसे विद्युत चुंभकीय की तरह रेडियो व टेलीविजन या एक्सरे व माइक्रोवेब की तरंगे होती हैं। जिस तरह एक रोशनी की किरण को एक बच्चे से खेलने वाले प्रिजम से गुजारा जाए तो एक किरण सात रंगों में विभाजित होती है। यही रोशनी की किरणें ऊर्जा के साथ हमारे शरीर में, वातावरण में बिखरी सात रंगों से हमारे शरीर के मनोविज्ञान व वातावरण के मनोविज्ञान में बदलाव व संतुलन समय-समय पर लाती रहती है। रोशनी के सिद्धांत के अनुसार रोशनी जैसे ही किसी वस्तु पर पड़ती है वह वस्तु सभी रंगों में से उसी रंग को अपने जजब कर लेती है जिस रंग का वह होता है। अब स्पष्ट है कि किसी भी वस्तु का रंग उसके एटम की मनोरचना का स्वरूप जो उसके अनोखे मनोविज्ञान के होने का कारण भी है। हर रंग का जीवन में विशेष महत्व है और यह हमारे जीवन को प्रभावित करते हैं। संगीता मित्तल ने कहा कि अब यह आपकी बुद्धिमता पर निर्भर है कि आप अपनी दिनचर्या में अपनी शख्सीयत का कौन से पहलू उभारना चाहते हैं और जिस रंग का चयन करें बुद्धिमता से करें।

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