सचिन के मनोविज्ञान में छिपा है सफलता का राज – आईबीएन

नई दिल्ली। क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर की बल्लेबाजी के मास्टर स्ट्रोक्स ने दुनिया को दीवाना बना रखा है। मनोविज्ञानियों का मानना है कि उनकी अपार सफलता और महानता का राज बेमिसाल बल्लेबाजी कौशल या रन बनाने की उनकी क्षमता में ही नहीं बल्कि भावनाओं पर काबू रखने की उनकी मनोवैज्ञानिक ताकत में निहित है।

मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि सचिन की सफलता और उनके व्यक्तित्व के विभिन्न पहलुओं का विश्लेषण करके उनकी सफलता के राज का पता लगाया जा सकता है। इनकी मदद से व्यक्ति अपने जीवन में कामयाबियों को हासिल कर सकता है। मनोवैज्ञानिकों के अनुसार हालांकि ऐसे अनेक खिलाड़ी होते हैं जिनके पास बल्लेबाजी या अन्य क्षेत्रों में पर्याप्त कौशल और दक्षता होती है लेकिन कौशल और क्षमता के अलावा मनोवैज्ञानिक विशेषताएं और क्षमताएं ही व्यक्ति को अपार सफलता दिलाती है।

मनोवैज्ञानिक और दिल्ली साइकिएटि्रक सेंटर के निदेशक डॉ. सुनील मित्तल कहते हैं कि किस तरह से एक मामूली इंसान लाखों करोड़ों लोगों के लिए भगवान की तरह पूजनीय हो जाता है यह मनोज्ञानिकों और समाजविज्ञानियों के लिए अध्ययन का विषय है। डॉ. मित्तल कहते हैं कि महान क्रिकेट खिलाड़ी सचिन तेंदुलकर की तरह जिन कुछ चुनिंदा लोगों ने विभिन्न क्षेत्रों में असीम सफलता हासिल की है उनके व्यक्तित्व में कुछ खास गुण और मनौवैज्ञानिक क्षमताएं समान रूप से देखी जाती है। इनमें नैतिकता, काम के लिए जुनून, सकारात्मक दृष्टिकोण और भावनाओं पर नियंत्रण रखने की क्षमता प्रमुख हैं।

मनोचिकित्सक डॉ. समीर कलानी कहते हैं कि अपार सफलता केवल योग्यता, भाग्य या संयोग से नहीं मिलती बल्कि यह व्यक्ति की सतत मेहनत, लगन और जुनून के अलावा दृढ इच्छा शक्ति, मनोवैज्ञानिक दृढता और भावनाओं पर नियंत्रण रखने की क्षमता से भी मिलती है। डॉ. मित्तल बताते हैं कि हमारे स्वास्थ्य और क्षमता का सीधा संबंध मनोवैज्ञानिक कुशलता और सामर्थ्य से होता है। वैज्ञानिक अध्ययन से पता चलता है कि हमारा व्यवहार और हमारी सोच का असर हमारे मस्तिष्क, शरीर और भावनाओं पर होता है।

डॉ. मित्तल के अनुसार दूसरे के प्रति आभार व्यक्त करने और दूसरों को प्रोत्साहित और सराहना करने जैसे सकारात्मक गुण और व्यवहार का हमारे शारीरिक स्वास्थ्य पर गहरा असर होता है। जिन लोगों ने सचिन तेंदुलकर को अंतिम मैच के अंत में उनके संबोधन को देखा और सुना वे उनकी इस उम्र में उनके अभूतपूर्व शारीरिक और मानसिक क्षमता को आसानी से समझ सकते हैं। उनके उस संबोधन में भावनाएं, विशेषज्ञता, प्रेम और अपने कमियों के प्रति स्वीकृति की झलक देखी जा सकती थी। हम सबने देखा कि सचिन ने अपने 24 साल के लंबे करियर के दौरान लोगों की उम्मीदों और आलोचनाओं के भार को अपने कंधे पर किस महारत के साथ उठाया और किस तरह से हर कसौटी पर स्वयं को खरा साबित किया।

कॉस्मोस इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ और बिहैवियरल साइंसेस सीआईएमबीएस की क्लिनिकल साइकोलॉजी की प्रमुख मिताली श्रीवास्तव कहती हैं कि हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सौहार्दपूर्ण और मजबूत पारिवारिक संबंध भी महत्वपूर्ण होता है। किसी व्यक्ति की सफलता का राज इस बात में निहित होता है कि कोई व्यक्ति किस तरह से अपनी समस्याओं का समाधान करता है और अन्य लोगों की किस तरह से मदद करता है।

तनाव, विपत्ति, आघात और मुश्किल की घड़ी में नकारात्मक भावनाएं हमारी सोच और मानसिकता को बुरी तरह प्रभावित करती हैं और ऐसे में जरूरी होता है कि वे अपने प्रिय और विश्वसनीय लोगों के साथ अपनी समस्या या पीड़ा को बांटे और उनकी सहायता और मार्ग दर्शन प्राप्त करे। ऐसे में व्यक्ति को चुनौतियों और संकट से बाहर निकलने में जल्दी मदद मिलती है।

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