मनोविज्ञान विभाग के पीएचडीधारकों को नहीं होगी समस्या

-शिक्षक भर्ती प्रक्रिया के दौरान यूजीसी गाइड लाइन 2009 के मानकों पर हुई चर्चा

इलाहाबाद : इलाहाबाद विश्वविद्यालय की शिक्षक भर्ती प्रक्रिया के दौरान सोमवार को इस बात पर चर्चा हुई कि यूजीसी गाइडलाइंस 2009 के तहत सभी मानक पूरा करने वाले उच्च शिक्षा संस्थानों जैसे जेएनयू और आइआइटी के पीएचडी उपाधि धारक छात्रों को मौका दिया जाए। अगर ऐसा हो जाता है तो इलाहाबाद विवि के कम से कम एक विभाग के छात्रों को अपने शोध कार्य पर गर्व करने का मौका तो मिलेगा ही शिक्षक भर्ती में उनका दावा भी मजबूत रहेगा।

उल्लेखनीय है कि दिसंबर 2009 तक पीएचडी करने वाले ऐसे छात्रों को जिन्होंने तत्कालीन यूजीसी गाइडलाइन के तहत चार प्रमुख मानक पूरे किए थे, शिक्षक भर्ती में मौका मिल सकता है। इसमें पहला मानक परीक्षा द्वारा प्रवेश, दूसरा मानक वाहय परीक्षक, तीसरा रिसर्च मेथडोलाजी के पर्चे और चौथा प्रेजेंटेशन कार्यक्रम शामिल है। छह सप्ताह का एक कार्यक्रम भी पूरा करना होता है। विश्वविद्यालय इन संबंध में प्रीडीफिल कोर्स चलाने का प्रयास किया जो विज्ञान संकाय में चला ही नहीं और कला संकाय में जिस तरीके से चला, उसका उल्लेख करना बेकार है। लेकिन राहत की बात यह है कि मनोविज्ञान विभाग में हुई सारी पीएचडी ऐसी हैं जिन्होंने उच्च शोध मानकों को पूरा किया है। 1984 में पृथक आर्डिनेंस के तहत यहां जो शोध कार्य शुरू हुए उन्होंने विभाग को एडवांस स्टडी सेंटर बनाने में मदद की। विभाग में दो कार्स हैं जो पांच माह की अवधि के हैं, जिनके माध्यम से गुणवत्ता बरकरार रखी गई है। हर छात्र को चार कोर्स करने अनिवार्य होते हैं। इस संबंध में विभागाध्यक्ष प्रो. एके दलाल कहते हैं कि जिन मानकों की बात की जा रही है, उन्हें विभाग ने गाइड लाइन आने से काफी पहले से ही फालो करना शुरू किया है। यही कारण है कि विभाग एडवांस स्टडी सेंटर बन सका है।

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