मनोबल टूटने पर उठाते आत्मघाती कदम

रामपुर। राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय की मनोविज्ञान विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डा. सुनीता ने कहा कि डिप्रेरेशन की अवस्था में व्यक्ति काफी हतोत्साहित हो जाता है और इसकी अधिकता होने पर जीने की इच्छा खत्म होने लगती है। अपने आप को समाज और घर से अलग समझना, असक्षम की स्थिति आदि से अवसाद पैदा हो जाता है। और मजबूर होकर वह आत्महत्या करता है। कहा डिप्रेशन एकदम नहीं आता। टेंशन के लगातार बढ़ने से व्यक्ति में न्यूरोटिक डिसआर्डर आने लगते हैं। वह संवेगात्मक स्तर पर कमजोर हो जाता है और मनोबल रिने लगता है। एक के बाद एक असफलता मिलने से भी व्यक्ति निराशा में आ जाता है। मन में यह सोंच कि मैं किसी काम का नही, आत्महत्या का कारण बनती है। कहा कि अपना जीवन खत्म करने का प्रयास करना निराश होने की उच्च अवस्था है। इस दशा में उसके अपनों को भावनात्मक तौर पर रिश्तों को मजबूत करना चाहिए। व्यक्ति के व्यवहार में बदलाव आने लगते हैं। जैसे चुपचाप रहना, किसी कार्य में मन न लगाना, चिड़चिड़ापन, अनावश्यक गुस्सा, निराशा भरी बातें करना आदि व्यवहार सामने आने लगते हैं। ऐसे बदले व्यवहार पर ध्यान देकर उसके कारण को जानने का प्रयास करे। भावनात्मक सहयोग व्यक्ति को मन से काफी मजबूत बनाता है।

मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर

 

Leave a Reply