भारतीय मनोविज्ञान में शोध की आवश्यकता

महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ

-संगोष्ठी के समापन में मनोविज्ञान गांव की ओर चले का प्रस्ताव पारित

जागरण संवाददाता, वाराणसी : भारतीय मनोविज्ञान में अभी और शोध करने की आवश्यकता है। सकारात्मक मनोविज्ञान का भविष्य काफी उज्जवल है। ये बातें महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में आयोजित 'सकारात्मक मनोविज्ञान के मुद्दे व चुनौतियां' विषयक आयोजित तीन दिवसीय संगोष्ठी में उभर कर सामने आई।

मनोविज्ञान विभाग के तत्वावधान में परिसर के गांधी अध्ययनपीठ के सभागार में बुधवार को आयोजित संगोष्ठी के समापन समारोह में मनोविज्ञान गांव की ओर चले का प्रस्ताव पारित किया गया। बतौर मुख्य अतिथि प्रो. आरआर त्रिपाठी ने कहा कि सकारात्मक मनोविज्ञान में संज्ञान व संवेग के अंत:क्रिया की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। अध्यक्षता करते हुए विभागाध्यक्ष प्रो. आनंद कुमार ने कहा कि मनोविज्ञान के चुनौतियों का सामना हम शोध अध्ययन को और मजबूत करके कर सकते हैं। ऐसे में नवीन ज्ञान के लिए गुणवत्तायुक्त शोध की जरूरत है। संगोष्ठी में प्रो. सीबी द्विवेदी, प्रो. राजेंद्र मोहन ने भी विचार व्यक्त किया। इस दौरान चले सत्रों में 16 शोधपत्रों का वाचन किया गया। संचालन डॉ. रश्मि सिंह व धन्यवाद ज्ञापन डॉ. आरपी सिंह व डॉ. शंभू उपाध्याय ने किया।

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