रांची : स्नातक के बाद बीएड करने वाले विद्यार्थी अभी भी अन्य राज्यों के भरोसे हैं। कहने को तो कई कॉलेजों में यहां बीएड की व्यवस्था है, लेकिन दर्जन भर विषयों की पढ़ाई नहीं होती। दर्शनशास्त्र, मानवविज्ञान, भूगोल, मनोविज्ञान, समाजशास्त्र या कंप्यूटर अप्लिकेशन में बीएड करने की तमन्ना विद्यार्थियों की धरी की धरी रह जाती है। रांची विश्वविद्यालय से लेकर राज्य के अन्य विश्वविद्यालयों में भी बीएड की कोई व्यवस्था नहीं है। पलायन यहीं से होता है। हजारों की संख्या में विद्यार्थी बीएड करने के लिए अन्य राज्यों का रुख करते हैं।
कॉलेजों को एक सत्र में बीएड में सिर्फ सौ विद्यार्थियों के नामांकन की अनुमति है। इसमें भी इतिहास, भूगोल, हिंदी, अंग्रेजी, भौतिकी, रसायन, गणित, जीवविज्ञान और कामर्स में महज 10 ही सीट उपलब्ध है। इसके अलावा गृह विज्ञान में 2, संस्कृत में 2, उर्दू में 2 तथा अर्थशास्त्र और पालिटिकल मे महज 5 सीट ही उपलब्ध है।
इतिहास, भूगोल, हिंदी जैसे विषयों के लिए दस सीटों का आवंटन तो समझ में आता है, लेकिन कामर्स जैसे स्वतंत्र संकाय के लिए मात्र तीन सीट की व्यवस्था समझ से परे है। कामर्स न सिर्फ एक स्वतंत्र संकाय है, बल्कि इंटर व स्नातक स्तर पर बेहद लोकप्रिय विषय भी है।
कहां-कहां होती है बीएड की पढ़ाई :
सेंट जेवियर्स कॉलेज
रांची कॉलेज
बेथेसदा महिला कॉलेज
रांची महिला कॉलेज
राची विश्र्र्वविद्यालय के अंगीभूत कॉलेजों के बीएड कोर्स में नामाकन की प्रक्रिया अलग है। अंगीभूत कॉलेज में नामाकन अंक के आधार पर होता है। इसके लिए छात्रों को फॉर्म भरना होता है। अंक के आधार पर मेरिट लिस्ट का प्रकाशन होता है। राची कॉलेज में तो एक सीट भी खाली रहने पर मेरिट लिस्ट का प्रकाशन होता रहता है। वहीं निजी बीएड कॉलेजों में नामाकन के लिए प्रवेश परीक्षा का आयोजन होता है। अंगीभूत कॉलेज से कोर्स करने में शुल्क 20 हजार रुपये लगते हैं, जबकि निजी कॉलेजों में 80 हजार से 1.20 लाख रुपये तक।
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