टूट गया आठ हजार का सपना

इलाहाबाद। पेपर खराब होने, जल्दबाजी में सवाल गलत हो जाने का अफसोस तमाम परीक्षाओं में देखने को मिल जाता है लेकिन रविवार दोपहर में शिक्षक पात्रता परीक्षा देकर जो भी बाहर निकला, उसे बस एक अफसोस था कि काश आधे घंटे और मिल जाते। हलुआ जैसे सवाल। मानों तीसरी, चौथी कक्षा के बच्चे सामने किताब रखे हों और सवाल कर रहे हों लेकिन अफसोस कि वक्त न था। मानों आधा घंटा और मिल जाता तो सब 100 फीसदी नंबर लेकर खड़े होते। बाल मनोविज्ञान, गणित के सवाल भी बेहद सरल लेकिन लंबे थे। बाल मनोविज्ञान में ज्यादातर सवाल तीन से चार लाइन के थे। जितना वक्त एक सवाल पढ़कर, सही जवाब का गोला भरने को मिला, उससे ज्यादा वक्त तो बाल मनोविज्ञान और गणित के सवाल पढ़ने में ही लग गया। इसके अलावा अंग्रेजी ने भी थोड़ा परेशान किया। सवाल सरल थे लेकिन हिन्दी माध्यम के विद्यार्थियों के लिए वही बहुत थे। महज 90 मिनट में 150 सवाल हल करने का दबाव ऐसा था कि ज्यादातर अभ्यर्थियों ने 60 से 70 सवालों में बिना पढ़े एक गोला काला कर दिया। यह सोचकर कि उनमें से 25 से 30 फीसदी सवाल तो सही ही होंगे।
हिन्दी, अंग्रेजी, पर्यावरण के ज्यादातर सवाल ऐसे थे जिन्हें बाहरी लोग भी आसानी से हल कर लेते। कई केंद्रों पर अभिभावकों ने सवाल हल करवाए। धूमनगंज, नैनी और झलवा के सात केंद्रों से शिकायत है कि अभिभावकों ने कई कमरों में कब्जा कर लिया था तो कुछ जगहों पर कक्ष निरीक्षकों ने ही सवाल हल करवाए।
मंडल में 115 केंद्रों पर परीक्षा हुई। 56 हजार अभ्यर्थियों को शामिल होना था लेकिन प्रवेश पत्र की खामियों के कारण आठ हजार अभ्यर्थी शामिल नहीं हो सके। अफरातफरी और गड़बड़ियों का आलम यह रहा कि सामान्य अभ्यर्थियों का नाम एससी की रोललिस्ट में दर्ज हो गया। डीपी गर्ल्स इंटर कालेज, अग्रसेन इंटर कालेज, केसर विद्यापीठ इंटर कालेज समेत कई केंद्रों पर उपस्थिति पंजिका में सामान्य श्रेणी के अभ्यर्थियों का नाम एससी में दर्ज था। अभ्यर्थियों से उसी पर हस्ताक्षकर कराया गया। ओएमआर किस आधार पर चेक होगा, किसी को नहीं पता।

हूबहू पूछ लिए सीटीईटी के कई सवाल
टीईटी में बाल मनोविज्ञान और पर्यावरण को लेकर तमाम ऐसे सवाल थे जो हूबहू सीटीईटी के पेपर से लिए गए थे। जिन अभ्यर्थियों ने सीटीईटी दिया था, उन्हें इन सवालों का लाभ मिला। गणित और अंग्रेजी के भी कई सवाल हूबहू लिए गए थे। सवालों ने साफ कर दिया कि टीईटी का पेपर बनाने वालों को सवाल तलाशने में मुश्किल हुई।

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