जेम्स बांड बनना है तो पढ़े मनोविज्ञान

दुमका, जागरण प्रतिनिधि : कैरियर की दृष्टिकोण से मनोविज्ञान संकाय की लोकप्रियता लगातार बढ़ रही है। मनोविज्ञान के विद्यार्थियों के लिए रोजगार के कई द्वार खुले हैं। चिकित्सा जगत से लेकर औद्योगिक जगत व शिक्षा जगत से रोजमर्रा के जीवन में मनोविज्ञान की महत्ता बढ़ती जा रही है। बतौर परामर्शी या मनोचिकित्सक के रूप में इस संकाय के जानकारों की धूम मची है। आवश्यकता होती है। मनोविज्ञान की कई व्यवहारिक शाखाएं हैं जिसमें वैज्ञानिक मनोविज्ञान, चिकित्सा मनोविज्ञान, संगठनात्मक मनोविज्ञान, शिक्षा मनोविज्ञान, खेल मनोविज्ञान, राजनीति मनोविज्ञान, कानून मनोविज्ञान के अतिरिक्त अन्य क्षेत्र हैं जहां मनोविज्ञान की पैठ है। हालात यह कि आज पूरे विश्व में मनोविज्ञान विषय को समझने का दायरा तेजी से बढ़ रहा है। शायद यही कारण है कि प्रतिदिन नए पाठ्यक्रमों को भी इससे जोड़ा जा रहा है। कैरियर के हिसाब से देखा जाए तो वर्तमान समय में भारत में जितने मनोवैज्ञानिक, प्रशिक्षक व चिकित्सकों की जरुरत है उसकी आधी उपलब्धता भी नहीं है। हालांकि हाल के दिनों में यह भी देखा जा रहा है कि विद्यार्थियों का रुझान तेजी से मनोविज्ञान संकाय की ओर बढ़ा है।

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मनोविज्ञान में भविष्य

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चिकित्सा की क्षेत्र में मनोविज्ञान के छात्र-छात्राएं स्नातकोत्तर करने के उपरांत एम.फिल कर मनोवैज्ञानिक बनकर समाज की सेवा कर सकते हैं। एम.फिल पाठ्यक्रम देश में कई संस्थानों द्वारा किया जाता है। झारखंड में रिनपास भी इसी तरह की संस्थान है जहां एम. फिल की पढ़ाई होती है। बंगलोर के रिमहान्स, दिल्ली में आईवियस में पढ़ने की व्यवस्था है। इसके अलावा आगरा में भी इस पाठ्यक्रम को पढ़ाने की व्यवस्था है।

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उद्योग के क्षेत्र में कर्मचारियों को मानसिक रुप से स्वस्थ ठीक रखने के लिए, मिल मालिक एवं मजदूरों की बीच तालमेल बना रहे व इनकी भावनात्मक हितों की रक्षा हो, हड़ताल एवं ताला बंदी की स्थिति न आये, दुर्घटना एवं थकान से बचाने के लिए एवं उद्योग उन्नति के लिए माहौल बनाने के लिए उद्योग मनोविज्ञानिकों की भूमिका अहम है। इसके लिए चिकित्सा मनोविज्ञान परामर्शदाता के रूप में यहां काम करते हैं।

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शिक्षा की क्षेत्र में मनोविज्ञान के छात्र परामर्शदाता बनकर बच्चे के व्यवहारिक जीवन में स्लो लर्निग, बच्चों के साथ शिक्षक, अभिभावक एवं छात्र के बीच एक मधुर संबंध का माहौल बनाने का काम कर सकते हैं। स्कूलों में ड्राप आउट नहीं हो, अवमानना पर अंकुश लगे और शैक्षणिक माहौल में सुधार करने में भी इनकी भूमिका महत्वपूर्ण है। इसी तरह मनोविज्ञान के विद्यार्थी क्षेत्र विशेष में डिग्री या डिप्लोमा हासिल कर भविष्य को संवारने के साथ सामाजिक कार्यो में भी काम कर सकते हैं। जिसमें मुख्य रुप से एचआईवी एड्स के परामर्शदाता, राजनीतिक परामर्शदाता आर्मी काउंसलिंग एवं थरेपी, चाइल्ड गाइडेंस और काउंसलिंग, वोकेशनल गाइडेंस सेंटर, इंटेलिजेंस ब्यूरो, सीआईडी, सीबीआई जैसे कैरियर में भी मनोविज्ञान की विशेषज्ञ की जरूरत होती है। मानसिक रूप से विकलांग बच्चों के क्षेत्र में मनोविज्ञान के छात्र अपना कैरियर का परचम लहरा सकते हैं। मानसिक मंदता व्यापक विकासात्मक विकृति वंचित बच्चों के साथ वे काम कर सकते हैं। भारत सरकार के आरसीआई एवं नेशनल ट्रस्ट जैसे दो प्रमुख संस्था पिछले एक दशक से इस क्षेत्र में काम कर रही है। भोज विश्वविद्यालय के द्वारा इस दिशा में बीएड एवं डिप्लोमा कराया जा रहा है। इस दिशा में मनोविज्ञान की विद्यार्थियों में मनोबल बढ़ाने के लिए एम.फिल, पीएचडी, नियमानुसार छात्रवृत्ति भी प्रदान की जाती है। देश में कहीं भी एम.फिल एवं पीएचडी करने वाले छात्रों के लिए छात्रवृत्ति की व्यवस्था है। कम्युनिटी रिहैवलीटेशन में डिप्लोमा एवं सर्टिफिकेट कोर्स करके विद्यार्थी अपना भविष्य संवार सकते हैं।

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