चिड़चिड़ापन भी बना देता है अपराधी

अंबाला शहर, जागरण संवाद केंद्र

कई बार बच्चों में चिड़चिड़ेपन जैसी समस्या आ जाती है, जो धीरे-धीरे अपराध का रूप धारण कर लेती है।

यह जानकारी मनोविज्ञान की प्रो. सुमन गुप्ता ने दी। वह शहर के ऑब्जर्वेशन होम में बाल कैदियों को प्रशिक्षण दे रही थी। उन्होंने कहा कि समाज से आवश्यक सहयोग न मिलने तथा माता-पिता के अधिक व्यस्त होने से बच्चो को पर्याप्त समय न दिए जाने के कारण भी यह स्थिति उपजती है।

उन्होंने कहा कि जाने-अनजाने में अपराध करने वाले बच्चों से ऩफरत करने की बजाए उनकी मूल समस्या का अध्ययन करके उसके समाधान का प्रयास किया जाना चाहिए और सही मार्गदर्शन से इस तरह के बच्चे भी आसानी से मुख्य धारा में शामिल हो सकते है। उन्होंने इस अवसर पर महिलाओं के विरुद्ध ब्लात्कार, दहेज, सेक्सुअल हराशमेंट जैसे अपराधों के कारणों और उनके बेहतर समाधान पर भी चर्चा की। प्रशिक्षण के दौरान मनोविज्ञान के दूसरे प्रो. उमेद सिंह ने कहा कि कोई भी व्यक्ति जन्म से अपराधी नहीं होता बल्कि कई बार हालात व्यक्ति को अपराध करने के लिए मजबूर कर देते है। छोटी आयु में कई बार अपराध के परिणामो से अनभिज्ञ होने के कारण भी अनजाने में अपराध हो जाता है। कार्यक्रम में प्रो. उमेद सिंह व प्रो. सुमन गुप्ता ने कहा कि बच्चो की अपराधिक मानसिकता को परिवर्तित करने से पहले उनके मनोविज्ञानिक दृष्टिकोण का अध्ययन आवश्यक है। उन्होंने बच्चों से अपराध, अपराध के कारण समाज में व्यक्तिगत और सामाजिक प्रभाव जैसे विषयों पर चर्चा की। बच्चों को मानसिक स्वास्थ्य और सामाजिक निपुणता जैसे विषयों पर भी जानकारी दी गई।

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