मुंबई के कमाठीपुरा के बदनाम रेड लाइट एरिया में एक देवदासी की बेटी के रूप में पली बढी 18 वर्षीय श्वेता कट्टी को अमेरिका में अध्ययन के लिए छात्रवृत्ति मिलना एक सपने सच होने जैसा रहा.
एक समय निगम स्कूल में पढने वाली श्वेता बार्ड विश्वविद्यालय में मनोविज्ञान में एक पाठ्यक्रम करने के लिए गुरूवार को न्यूयार्क रवाना हो गयी.
उनकी मां वंदना कहती है, ‘श्वेता को अमेरिका में पढाई का मौका मिला. मुझे नहीं पता कि वह वहां क्या पढेगी. पर मुझे उसपर गर्व है.’ उन्होंने कहा, ‘बचपन से ही श्वेता पढने में काफी अच्छी थी. इससे पहले वह निगम स्कूल में पढती थी. कक्षा आठ से वह दक्षिण मुंबई के एक स्कूल जाने लगी.’
श्वेता और उनका परिवार एक ऐसी बिल्डिंग में रहते हैं, जिसमें वेश्यावृत्ति होती है. उनकी मां वंदना पास की ही एक फैक्ट्री में काम करती है जो कि त्योहारों में काम आने वाली बिजली की झालरें बनाती है. श्वेता कहती हैं, 'हमारे लिए इस बस्ती से बाहर निकलना भी बड़ा मुश्किल था. बाहर लोग हम पर गंदे-भद्दे कटाक्ष और मुझे वेश्या कहते. वाकई वह बड़ा बुरा दौर था. श्वेता बचपन से ही पढऩे में बहुत तेज थीं. लेकिन पढ़ाई जारी रख पाना आसान न था.'
श्वेता कहती भी हैं कि यहां तक वे मां की वजह से ही पहुंच पाई हैं. जिंदगी में मोड़ उस वक्त आया जब दो-एक साल पहले श्वेता को लगा कि घर पर पढ़ पाना मुश्किल हो रहा है. इस मोड़ पर आईएपीए ने उनका संपर्क एक दूसरे एनजीओ 'क्रांति' से करवाया और 'क्रांति' ने फिर उन्हें कांदीवली शिफ्ट किया, जहां उन्होंने 12वीं तक पढ़ाई की.
श्वेता की मां ने बताया कि वह चार साल के बाद लौटेगी. उन्होंने कहा, ‘उसकी कमी खलती है. लेकिन मैं अपने आपको मजबूत बना रही हूं.’
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