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उदयपुर । मनोविज्ञान विभाग, मो.ला.सुवि. एवं एकेडमी ऑफ वेल बींग सोसायटी द्वारा आयोजित दो दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी के समापन समारोह के अवसर पर मुख्य अतिथि एस.एस. सारंगदेवोत कुलपति, राजस्थान विद्यापीठ ने विद्यापीठ ने विद्यार्थियों हेतु परामर्श सुविधा की अति आवश्यक बताया। व्यक्ति के सामाजिक एवं सांवेगिक विकास हेतु परामर्श आवश्यक है। विशिष्ट अतिथि प्रो. सीमा मलिक अधिष्ठाता, पीजी स्टेडीज ने जीवन के प्रत्येक स्तर पर निर्देशन व परामर्श की आवश्यकता बताते हुए स्व-परामर्श को मानसिक स्वास्थ्य के लिये महत्वपूर्ण बताया एवं कहा कि हमारा बहुत समय किसने, कब, क्या क्यों कहा या किया कि विश्लेषण मे व्यर्थ होता है। इसके स्थान पर घनात्मक कथन का अभ्यास करना चाहिये। प्रो. विजयलक्ष्मी चौहान ने ऑडिट योर सेल्फ तथा शेयर एण्ड केयर (तकनीक के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दी) प्रो.डी.एस. चुण्डावत छात्र् कल्याण अधिष्ठाता ने इस प्रकार की संगोष्ठियों का आयोजन लोगों की मनोविज्ञान के प्रति रूचि बढाने हेतु आवश्यक बताया । प्रो. पी.के. गुप्ता, देवी अहिल्या विश्वविद्यालय ने संगठनों में बढते तनाव में इसके सकारात्मक प्रभावों पर प्रकाश डाला ।
डॉ. तरूण शर्मा ने संगोष्ठी का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया ।
जिसमें तकनीकी सत्रें में अमेरिका से आए हुए विशेषज्ञों ने संवेग केन्दि्रत चिकित्सा के सकारात्मक पहलू को स्पष्ट किया। स्नेह एवं दयालूता तथा टेपिंग तकनीकी को नकारात्मक विचारों से दूर करने के लिये तथा उन्नत स्वास्थ्य के लिये लाभप्रद बताया । ये तकनीकें शरीर की नाडयों में होने वाले ऊर्जा प्रवाह से सम्बन्धित है। इस प्रकार पूर्व की प्राचीन धरोहरों तथा पश्चिम की अनुसंधानों के समन्वय द्वारा स्वास्थ्य के क्षेत्र् में नए आयाम स्थापित कियो जा सकते हैं।
विभिन्न तकनीकी सत्रें म विविध विषयों पर 70 शोध पत्र् प्रस्तुत किये गये । डॉ. कल्पना जैन संगोष्ठी निदेशिका ने कहा कि मनोविज्ञान विभाग के समस्त विद्यार्थी जन कल्याण हेतु अपनी सेवाऐं देने हेतु सतत प्रयासरत रहेगें। उन्होनें यह भी कहा कि प्रत्येक शनिवार प्रातः 9 से 10 बजे निःशुल्क परामर्श विभाग के प्राध्यापकों के निर्देशन में दिया जाता है ।