मानव जीवन के अस्तित्व के मूल में संचार : प्रो. मुखर्जी

मानव जीवन के अस्तित्व के मूल में संचार : प्रो. मुखर्जी

जागरण संवाददाता, रोहतक : मानव संचार की प्रक्रिया मनुष्यों के मध्य संबंधों को सुदृढ़ करती है। पारस्परिक संबंधों की मजबूती या टूटन संचार की सफलता एवं असफलता पर निर्भर करता है। इस प्रकार संचार प्रक्रिया मनोविज्ञान का आधार स्तंभ है। ये वाक्य कोलकाता विश्वविद्यालय के एप्लाइड साइकोलॉजी की प्रोफेसर डॉ. इंद्राणी मुखर्जी ने सोमवार को महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय (मदवि) के मनोविज्ञान विभाग में आयोजित विशेष व्याख्यान कार्यक्रम में व्यक्त किए। प्रो. इंद्राणी मुखर्जी बतौर विशेषज्ञ मदवि के मनोविज्ञान विभाग में विजिट पर आई है।

प्रो. इद्राणी मुखर्जी ने कहा कि सकारात्मक संचार मानसिक स्वास्थ्य के लिए अहम है। प्रभावी एवं सकारात्मक संचार से सकारात्मक भावनाएं उत्पन्न होती है, ऐसा उनका कहना था। संचार में सुधार के लिए व प्रभावी संचार के लिए परानुभूति होना जरूरी है। प्रो. इंद्राणी मुखर्जी ने कहा कि मानव जीवन के मूल में संचार समाहित है। व्याख्यान उपरात अतिथि वक्ता एवं विद्यार्थियों के बीच इंटर एक्टिव सत्र का आयोजन किया गया। व्याख्यान कार्यक्रम के प्रारभ में मनोविज्ञान विभाग यूजीसी विशेष सहायता कार्यक्रम के समंवयक प्रो. राजबीर सिंह ने स्वागत भाषण दिया। उन्होंने अतिथि वक्ता का परिचय दिया। आभार प्रदर्शन मनोविज्ञान विभाग की अध्यक्षा प्रो. प्रोमिला बतरा ने किया। उन्होने बताया कि विद्यार्थी इस व्याख्यान से लाभाविंत हुए। कार्यक्रम में विभाग के प्राध्यापक, शोधार्थी एवं विद्यार्थी मौजूद रहे।

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