मानवीय संवेदनाओं का तानाबाना 'मंत्र'
-राय उमानाथ बली प्रेक्षागृह में नाटक 'मंत्र' का मंचन
-संगीत ने किया नाट्य प्रस्तुति को प्रभावित
लखनऊ, 28 फरवरी (संवाद सूत्र) : कथासम्राट मुंशी प्रेमचंद की कहानियां मनुष्य के मनोविज्ञान का सटीक वर्णन करती हैं। ऐसी ही एक कहानी है 'मंत्र'। इसका मंचन राय उमानाथ बली प्रेक्षागृह में 'आकांक्षा थिएटर आर्ट्स' द्वारा हुआ। इस मंचन में संगीत और कथानक का एकदूसरे से तालमेल नहीं दिखा।
कहानी एक तरफ तो उच्च वर्गीय समाज के डॉक्टरों पर कटाक्ष करती है वहीं दूसरी और बूढ़े भगत के रूप में व्यक्ति को कर्तव्य परायणता का भी अहसास कराती है। डॉक्टर की बेफिक्री से भगत का बीमार बेटा दम तोड़ देता है, पर सांप काटने के बाद भगत डॉक्टर के बेटे को बचाने से खुद को नहीं रोक पाता। दिल को छू लेने वाली इस कहानी के मंचन में रिकॉर्डेड संगीत का प्रयोग किया गया था। रात्रि के समय झींगुर की तेज आवाज कान में चुभने वाली थी। आंचलिक भाषा की संवाद अदायगी में कलाकार सहज नहीं थे। अशोक लाल के निर्देशन में अचला बोस, मनोज, ऋषभ, सैफ खान, सुनील कुमार मिश्र, अनुज सिंह आदि ने अभिनय किया। मंच निर्माण सिराज अहमद ने किया और प्रकाश परिकल्पना एम. हाफिज की थी।
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