मनोविज्ञानियों ने स्वास्थ्य बेहतर बनाने के टिप्स दिए

मनोविज्ञानियों ने स्वास्थ्य बेहतर बनाने के टिप्स दिए

जागरण संवाददाता, रोहतक :

मनोविज्ञान का जन-मानस के शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण योगदान है। मनोवैज्ञानिक जन-मानस में सकारात्मक स्वास्थ्य चेतना जागृत करते है। ये बातें दिल्ली विश्वविद्यालय के मनोवैज्ञानिक प्रो. एनके चड्ढा ने रविवार को महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग द्वारा आयोजित किए जा रहे-सामुदायिक स्वास्थ्य एवं तंदरुस्ती विषयक कार्यशाला के समापन सत्र में बतौर मुख्य वक्ता व्यक्त किए। फील्ड रिसर्च आधारित दो दिवसीय सामुदायिक स्वास्थ्य मनोविज्ञान कार्यशाला रविवार को संपन्न हो गई।

प्रो. एनके चड्ढा ने कहा कि जन-मानस में स्वास्थ्य जागरूकता फैलाना एक सराहनीय प्रयास है। सकारात्मक मनोविज्ञान पहल से बेहतर स्वास्थ्य का रास्ता प्रशस्त होता है। बेहतर स्वास्थ्य के लिए सामाजिक सहयोग का संजाल लाभदायक होता है। समाज में वरिष्ठ नागरिक वर्ग के प्रति संवेदी होने का आह्वान प्रो. चड्ढा ने किया।

कार्यशाला में पटियाला से बतौर रिसोर्स पर्सन डॉ. वंदना शर्मा ने जीवन में सामाजिक दायित्व एवं व्यक्तिगत प्राथमिकताओं में संतुलन की बात कही। उन्होंने कहा कि सबको खुश नहीं किया जा सकता है। मुल्ला नसीरुद्दीन की कथाओं तथा संगीत के जरिए व्यक्तिगत खुशी के पहलुओं पर उन्होंने प्रकाश डाला।

डॉ. अपर्णा बतरा ने प्राण शक्ति को मजबूत करने के लिए सकारात्मक सोच विकसित करने तथा सांसों के सही संचालन पर जोर दिया। श्वसन क्रिया को प्रभावी बनाने के लिए सुदर्शन क्रिया की चर्चा डॉ. अपर्णा बतरा ने की। यूजीसी विजीटिंग प्रोफेसर डॉ. वेद गिरी गणेशन ने जीवन में परोपकार भाव विकसित करने तथा डॉ. वेंकटेश ने सकारात्मक मनोवृत्ति की बात रखी।

विभागाध्यक्ष प्रो. प्रोमिला बतरा ने स्वागत भाषण दिया। प्रो. बतरा ने सामुदायिक स्वास्थ्य मनोविज्ञान की कार्यशाला एवं स्वास्थ्य शिविर आयोजन के मकसद पर प्रकाश डाला। यूजीसी विशेष सहायता कार्यक्रम डीआरएस-टू के समन्वयक प्रो. राजबीर सिंह ने कहा कि मनोविज्ञान के अध्ययन एवं सिद्धांत को सामुदायिक स्वास्थ्य के सरोकार से जोड़ने के लिए इस कार्यशाला एवं शिविर का आयोजन किया गया। सत्र संचालन डॉ. अंजलि मलिक एवं डॉ. पूनम मिढा ने किया।

कार्यशाला के समापन सत्र से पूर्व खुला सत्र आयोजित किया गया। गत दिवस माडौदी में आयोजित शिविर में शामिल हुए गांववासी इस सत्र में शामिल हुए।

उन्होंने विभागीय प्रयास की सराहना की, तथा भविष्य में और अधिक शिविर आयोजित करने का आग्रह किया। अलीगढ़ मुस्लिम विवि के डॉ. रेश्मा जमाल तथा डॉ. महफूज अहमद ने भी खुल सत्र में अपने विचार रखे। जनसंपर्क निदेशक सुनित मुखर्जी ने ग्रामीण क्षेत्र में स्वास्थ्य जागृति के लिए पारंपरिक एवं लोक मीडिया माध्यमों के इस्तेमाल का सुझाव दिया। विद्यार्थियों ने भी अपनी बात खुले सत्र में रखी। कार्यक्रम समापन पर आभार प्रदर्शन प्राध्यापिका डॉ. पूनम मिढा ने किया।

इस अवसर पर विभाग के सभी प्राध्यापक, प्रो. जीपी ठाकुर, प्रो. इंद्राणी मुखर्जी, प्रो. उर्मी नंदा विश्वास, प्रो. नवरत्‍‌न शर्मा, संबंधित महाविद्यालयों के प्राध्यापक, विभाग के शोधार्थी, विद्यार्थी, बाहर से आए डेलीगेट्स आदि मौजूद रहे।

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