बक्सर, नगर संवाददाता : सआदत हसन मंटो यथार्थवादी लेखक थे। जिन्होंने अपनी कहानियों में भारतीय समाज के मनोविज्ञान व सामाजिक विसंगतियों को उजागर किया है। उक्त बातें शहर के साहित्यकार व प्रबुद्धजनों ने भोज थियेटर द्वारा आयोजित गोष्ठी में कहीं।
गोष्ठी का आयोजन कोईरपूरवा स्थित नेहा नर्सिग होम पर शनिवार को किया गया था। जिसकी अध्यक्षता डा. महेन्द्र प्रसाद ने किया। इस दौरान अपने अध्यक्षीय संबोधन मे डा. महेन्द्र ने कहा कि मंटो की कहानियों को न सिर्फ उर्दू साहित्य बल्कि संपूर्ण भारतीय साहित्य भी मान्यता देता है। इनकी रचनाओं में कही भी अश्लीलता नहीं झलकती है। जबकि, इनकी कहानियों पर अश्लीलता का आरोप लगाया गया। साहित्यकार कुमार नयन ने कहा कि मंटो ने भारत-पाक विभाजन को आमजनों के मर्म से छू कर देखा है। कथाकार अखिलेश कुमार ने कहा कि न सिर्फ नारी चरित्र को उकेरा बल्कि उन्हें काफी उपर उठाया है। वहीं, आमिर सुहैल ने मंटो पर एक आलेख पाठ किया। कार्यक्रम में डा. तनवीर फरीदी, जुनैद आलम, निर्मल कुमार नवीन आदि ने भी अपने विचारों से लोगों को अवगत कराया।
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