शिक्षा संवाददाता, भागलपुर : तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के बायो इंफोर्मेटिक्स केंद्र में 'बेसिक ऑफ बायो इंफोर्मेटिक्स एवं बायोलोजिकल डेटाबेस' विषय पर गुरुवार को तीन दिवसीय कार्यशाला का शुभारंभ हुआ। कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए विवि के कुलपति डॉ. एनके वर्मा ने कहा कि बायो इंफोर्मेटिक्स को मनोविज्ञान से जोड़कर अगर वैज्ञानिक शोध करेंगे तो मानव कल्याण में एक नया अध्याय जुड़ जाएगा। उन्होंने बायो इंफोर्मेटिक्स के निदेशक डॉ. एके राय को इस तरह की राष्ट्रीय कार्यशाला आयोजित करने के लिए साधुवाद किया। कुलपति ने कहा कि ऐसी कार्यशाला से लोगों को बहुत कुछ सीखने व जानने मौका मिलता है। उन्होंने विवि की ओर से ऐसे कार्यक्रम के लिए हर संभव सहयोग देना की बात कही। प्रतिकुलपति डॉ. एनके सिन्हा ने भी इस आयोजन के लिए विभाग के निदेशक को साधुवाद दिया।
स्वागत भाषण में बायो इंफोर्मेटिक्स विभाग के निदेशक डॉ. एके राय ने सभी आगत अतिथियों के प्रति आभार व्यक्त किया। उन्होंने मौके पर बताया कि इस केंद्र की स्थापना 2005 में की गई और अभी तक इस तरह की दो और राष्ट्रीय कार्यशालाओं का आयोजन पहले भी इस केंद्र द्वारा किया गया है। डॉ. राय ने बताया कि यह केंद्र बिहार का इकलौता बायो इंफोर्मेटिक्स केंद्र है जो डीबीटी मिनिस्ट्री ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी, भारत सरकार वित्त प्रदत है।
मुख्य अतिथि बोस इंस्टीच्यूट, कोलकाता से आए डॉ. टीसी घोष ने बायो इंफोर्मेटिक्स विषय पर प्रकाश डाला। उन्होंने विवि प्रशासन को अगाह किया कि अगर केंद्र में कार्यरत कर्मियों का विश्वविद्यालय सेवा में समायोजन नहीं किया गया तो डीबीटी मिनिस्ट्री ऑफ साइंस एंड टेक्नॉलाजी, भारत सरकार आर्थिक सहायता देना बंद कर देगी और केंद्र का बंद होना इस राज्य और विश्वविद्यालय के लिए शर्म की बात होगी। उन्होंने स्नातकोत्तर एवं स्नातक स्तर के लाइफ साइंस में इसे एक पेपर के रूप में शामिल करने की अपील की। सांइस के डीन डॉ. आरपी उपाध्याय ने जीन पर प्रकाश डालते हुए बायो इंफोर्मेटिक्स की महत्ता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि इस विषय में शोध की असीम संभावनाएं हैं। धन्यवाद ज्ञापन सूचना पदाधिकारी डॉ. राकेश रंजन एवं मंच संचालन सुश्री किसलय ने किया। इस अवसर पर साकेत विनायक, अर्चना दीक्षित एवं अमोद पांडेय भी मौजूद थे।
मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर