मॉन्ट्रियल: एक नया अध्ययन दर्शाता है कि बच्चे वयस्कों की गलत भावानाओं को भांप सकते हैं. यह निष्कर्ष शिशुओं की देखरेख करने वालों के व्यवहार पर प्रभाव डाल सकता है.
शिशुओं का अध्ययन करने वाली इंटरनेशनल सोसायटी की अधिकारिक पत्रिका 'इंफेंसी' में हाल ही में प्रकाशित अध्ययन में कोनकोर्डिया विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान के शोधकर्ताओं ने बताया कि बच्चे यह पता लगा सकते हैं कि एक विशेष संदर्भ में व्यक्ति की भावनाएं न्यायोचित हैं या नहीं.
साइंस डेली के मुताबिक, शोधकर्ताओं ने दर्शाया कि बच्चे समझते हैं कि कैसे भाव-भंगिमाएं सीधे भावनाओं से जुड़ी हैं.
यह आशय देखभाल करने वालों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है. "हमारा शोध दर्शाता है कि बच्चों को दर्द और खुशी के भावों को प्रकट करने के दौरान बेवकूफ नहीं बनाया जा सकता है. अक्सर वयस्क खुशमिजाज चेहरे पर नकारात्मक भाव लाकर शिशुओं के समक्ष एक ढाल बनाने की कोशिश करते हैं."
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