निष्क्रिय हुआ मंडलीय मनोविज्ञान केंद्र
मेरठ : विद्यार्थियों की मदद के लिए शुरू की गई मनोवैज्ञानिक सेवाएं अब खुद ही मदद की मोहताज हो गई हैं। मेरठ सहित दस जिलों में यह सेवा मुहैया कराने वाला मंडलीय मनोवैज्ञानिक केंद्र मेरठ की हालत बद से बदतर हो चुकी है। जर्जर हो चले भवन से एक दिन की बारिश के बाद तीन दिन तक पानी टपकता है। छज्जे का मलबा गिरने के कारण विभाग में कार्यरत लोग अंदर बैठने से डरते हैं। आलम यह है कि वर्ष में आयोजित दो टेस्ट के अलावा मनोवैज्ञानिक केंद्र निष्क्रिय हो जाता है।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से आयोजित राष्ट्रीय प्रतिभा खोज परीक्षा एवं राष्ट्रीय आय एवं योग्यता छात्रवृत्ति परीक्षा का आयोजन कराने के अलावा विभाग के पास लगभग कोई काम नहीं बचता। विद्यालयों में हर महीने कैंप के माध्यम से बच्चों की परेशानी जानने की प्रक्रिया पूरी तरह ठप हो चुकी है। वर्तमान में चंद बच्चे ही केंद्र में पहुंचते हैं जिनका आइक्यू टेस्ट व पर्सनैलिटी टेस्ट लिया जाता है। उनके टेस्ट के लिए वर्ष 1989 में छापी गई प्रश्नावली का इस्तेमाल किया जाता है।
दस वर्ष से खाली पद
करीब दस वर्ष से केंद्र में मंडलीय मनोवैज्ञानिक का पद रिक्त है। गत चार वर्ष से वोकेशनल गाइडेंस काउंसलर (वीजीसी) कार्यवाहक मनोवैज्ञानिक के तौर पर कार्यरत हैं। इसके अलावा एक महिला सहायक मनोवैज्ञानिक हैं और दूसरे विद्यालय के एक प्रवक्ता को अटैच कर रखा गया है।
नहीं मिलती धनराशि
कार्यकारी मंडलीय मनोवैज्ञानिक राम सेवक ने बताया कि कई वर्षो से जर्जर भवन की मरम्मत के लिए कोई धनराशि मुहैया नहीं कराई गई है। वर्ष भर विभागीय कामकाज के लिए कोई रुपये आवंटित नहीं किए गए हैं। छतों से मलबा गिरने की डर से सभी को बरामदे में बैठकर समय गुजारना पड़ता है।
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