8वें अंतरराष्ट्रीय खिलौना प्रदर्शनी में व्यापारियों और उद्यमियों के लिए नए तरह के खिलौने प्रदर्शित किया गए हैं। इनमें 100 भारतीय उद्यमियों ने भाग लिया है। प्रदर्शनी में शामिल खिलौनों में बच्चों की सेहत और मनोविज्ञान को केन्द्र में रखा गया है।
साथ ही खिलौनों की संरचना बच्चे की उम्र को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है। हर खिलौने में खेलने वाली की उम्र लिखी गई है। इसके अलावा खिलौनों को इस तरह से डिजाइन किया गया है जिससे वह बच्चों को खेलते समय किसी तरह का नुकसान न पहुंचाए। खिलौनों की संरचना में तिकोने या नुकीली शेप का इस्तेमाल नही किया गया है।
खिलौने बनाने में बाल मनोवैज्ञानिक भी शामिल
बच्चों की दिमागी कसरत करने योग्य खिलौने बनाने के लिए बाल मनोवैज्ञानिक भी शामिल है। अलग-अलग उम्र के बच्चों के लिए खिलौने तैयार किए गए हैं। इन खिलौनों में बच्चों के मूड को ध्यान में रखा गया है। स्टडी टेबल पर लूडो और चेस बनाए गए हैं। इसका उद्देश्य यह है कि अगर बच्चे पढ़ने के साथ खेलना चाहता है। तो वह स्टडी टेबल पर बने खेल को खेल सकता है।
काटरूनों से बनाएंगे रास्ते
अंतर्राष्ट्रीय खिलौना प्रदर्शनी में दिखाए जाने वाले खिलौनों को इस तरह तैयार किया गया है जिससे बच्चों की दिमागी कसरत हो सकें। बच्चों के पंसदीदा काटरून पात्रों के जरिए से पजलस,चेस, लूडो आदि खेलों को तैयार किया गया है। इन पजलस को बनाने के साथ बच्चों की तार्किक शक्ति भी बढ़ेगी। साथ ही बच्चे खेलने के साथ - साथ सृजन भी कर सकेंगे।
के मिक्ल निषेध खिलौनों का उत्पाद
दुनिया भर से आए व्यापारियों ने बच्चों की सेहत को ध्यान में रखते हुए खिलौनों में हानिकारक के मिक्ल का निषेध किया है। प्लास्टिक से बनने वाले खिलौनों में कई ऐसे के मिक्ल का प्रयोग होता है। जिससे बच्चों की सेहत को नुकसान पहुंच सकता है। प्रदर्शनी में दिखाए जाने वाले सभी खिलौनों का मान्यता प्राप्त सरकारी फैक्ट्ररी द्वारा प्रशिक्षित किए गए हैं।
हाथ की घड़ियों में पंसदीदा काटरून
लड़के व लड़कियों के लिए हाथ में पहनने वाली घड़ी के बेहतरीन विकल्प देखने को मिल रहे हैं। प्रदर्शनी में आई घड़ियों में कम से कम 15 से ज्यादा फ्रेम बदलने वाली घड़ी मौजूद है। इसमें बच्चे अपने पसंद के कार्टून को रोजाना बदल सकते हैं।
6 फीट का टेडी बियर
अंतरराष्ट्रीय खिलौना प्रदर्शनी में 15 किलों और 6 फीट का टेडी बियर देखने को मिलेगा। इस टेडी बियर में इस्तेमाल रूई और पफ पहले सरकारी मान्यता प्राप्त फैक्ट्ररी से प्रशिक्षित किए गए हैं। इसका वजन करीबन 15 किलों है साथ ही गुलाबी रंग में बनाया गया यह टेडी प्रदर्शनी में अकेला है। इसके साथ ही कई तरह के सॉफ्ट टवॉय देखने को मिलेंगे।
बैटरी रिचार्ज करने वाले खिलौने
चाबी से चलने वाले खिलौने की जगह चार्ज करने वाले खिलौने बनाए जाएंगे। बदलते समयर में टेक्नॉलजी को हर क्षेत्र में अधिक महत्व दिया जा रहा है। सेल या बैटरी से चलने वाली गाड़ी व हवाईजहाज अब चार्ज करके चलाएं जाएंगे। ज्यादा रफ्तार और दूर तक जाने वाले खिलौने बच्चों ज्यादा आकर्षित करेंगे।
खिलौने से स्वीमिंग भी कर सकेंगे
यूके के उद्यमी साइमन परहर ने बताया कि बच्चे खेल खेल में स्वी¨मग भी सीख सकते हैं। इस खिलौने का नाम स्वींम जाइंट जोग्गस है,पानी में डालने के बाद यह खिलौना बच्चों को पानी मे खेलने और स्वीमिंग करने के प्रेरित करेगा। साथ ही इससे बच्चों का आत्मविश्वास भी बढ़ेगा।
बच्चों के स्कूटर होंगे लचीले
खिलौने बनाने के लिए बनाए गए स्कूटर को लचीला बनाया गया है। इसमें बच्चों के मूड को भी ध्यान दिया गया है। बच्चे कभी सीधा नही चलाते ऐसे में स्कूटर को इस तरह तैयार किया गया है। जिसमें अगर वह इधर उधर हिलते है तब भी वह स्कूटर संतुलित दिशा में ही चलेगा।
राजधानी में बच्चों को बड़ी संख्या में खिलौने मुफ्त खेलने को मिलेंगे। खिलौने बनाने वाले उद्यमिकों का संगठन इसके लिए दिल्ली में जगह - जगह कई सारे केंद्र बनाने की तैयारी कर रहा है। इन केंद्रों मे बच्चों के खेल को देख कर उद्यमी बच्चों की रुचि एवं जरूरत का अंदाजा लगाएंगे। इस अनुभव के आधार पर आने वाले समय में खिलौने बनाए जाएंगे।
द टॉय एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष राज कुमार ने शुक्रवार को प्रगति मैदान में आयोजित 8वीं अंतर्राष्ट्रीय खिलौना प्रदर्शनी के दौरान बताया कि पिछले कुछ वर्षों में भारतीय उद्यमियों ने बेहतर तकनीकों का प्रयोग शुरू किया है। साथ ही खिलौने बनाने के लिए बच्चों के मनोविज्ञान को भी समझने का प्रयास भी किया जा रहा है। फिलहाल कुछ उद्यमियों ने कुछ स्कूलों में अपने खिलौने उपलब्ध करा कर तो कुछ ने बच्चों को घरों में खिलौने उपलब्ध करा कर उनकी रुचि को जानने का प्रयास शुरू किया है। उद्यमियों की सहूलियत के लिए संगठन जल्द ही दिल्ली में कई जगहों पर ऐसे केंद्र बनाने पर विचार कर रहा है जहा बच्चे आ कर खिलौने खेल सकें। यहां उद्यमी अपने नए खिलौने उपलब्ध कराएंगे। बच्चों की पसंद के अनुरूप उनमें बदलाव भी किया जाएगा।
सरकार के प्रयास से मजबूत हो रही खिलौना उद्योग की नीव
पिछले कुछ वर्षो में देश के खिलौना उद्योग की स्थिति बेहतर हुई है। यहां तक की लकड़ी से बने खलौनों व सॉफ्ट ट्वाय में भारतीय उद्यमियों ने अंतरराष्टीय बाजार में भी पकड़ मजबूत की है। लकड़ी के खिलौने बनाने वाले उद्यमी वीपी घई ने बताया कि पिछले कुछ वर्षो में भारत सरकार की ओर से खिलौना निर्मातओं को काफी प्रोत्साहन दिया जा रहा है। राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आयोजित होने में व्यापार मेलों में भाग लेने के लिए शुल्क का 70 प्रतिशत तक एमएसएमई मंत्रालय की ओर से अनुदान मिलता है। वहीं पिछले कुछ वर्षो में भारतीय उद्यमियों ने भी बेहतर तकनीक का प्रयोग करना शुरू किया है। इससे कई क्षेत्रों मे हम चीन को चुनौती दे रहे हैं।