कुछ हम मानें कुछ तुम मानो

parenting tips

कुछ हम मानें कुछ तुम मानो

पेरेंटिंग एक जटिल विषय है। इसे समझने के लिए मनोविज्ञान की तहों तक जाना पड़ता है। बच्चे को जन्म देना माता-पिता के जीवन की सबसे बड़ी खुशी होती है। पहली बार उसे गोद में उठाने, उसे बड़ा होते देखने का अनुभव निराला और सुखद है, लेकिन बड़े होने की प्रक्रिया बच्चों और माता-पिता दोनों के लिए जटिल और चुनौतीपूर्ण होती है।

हर मां-बाप बच्चे को वे तमाम खुशियां व सुविधाएं देना चाहते हैं, जो उन्हें नहीं मिलीं। इसके लिए दिन-रात एक करते हैं, लेकिन टीनएज में आते ही बच्चों की एक अलग दुनिया बनने लगती है। इसके प्रभाव में आने के बाद उन्हें माता-पिता की कई बातें बुरी भी लगने लगती हैं। यहीं से शुरू होता है दोनों पक्षों के बीच एक अनजाना द्वंद्व। संबंधों के बदलने की शुरुआत भी यहीं से होती है। इसलिए इसी उम्र में उन्हें अलगाव की ओर बढ़ने से बचाने की कोशिशें करनी पड़ती हैं।

जैसे ही बच्चा किशोरावस्था में कदम रखे, माता-पिता को मान लेना चाहिए कि अब उसे शिक्षा या उपदेश देने के दिन गए। घर का माहौल ऐसा बनाएं कि बच्चे माता-पिता के सिद्धांतों को स्वयं अपनाएं, उन्हें इसके लिए कहना न पड़े।

टीनएजर्स को अपना बनाना हो तो उनके साथ दोस्ती का हाथ बढ़ाएं। बेटी जब मां की ड्रेस पहनने की जिद करने लगे और बेटा पिता का शेविंग किट इस्तेमाल करने लगे तो उनसे थोड़ी सी दूरी के साथ बराबरी का रिश्ता कायम करने की जरूरत होती है। पेरेंटिंग के कुछ नए रूल्स:

1. समय का कोई विकल्प नहीं

नए जमाने की पेरेंटिंग में बड़ी समस्या है समय की कमी। समय का कोई विकल्प नहीं है। बच्चे को जो भी समय दें- वह पूरी तरह अविभाजित हो। उसे पता होना चाहिए कि भले ही आप कभी-कभी उससे नाखुश हो सकते हैं, लेकिन आप उसे प्यार करना नहीं छोड़ सकते। रोज बच्चे के लिए समय निकालें और वह समय सिर्फ मौज-मस्ती के लिए हो। भले ही 30 मिनट का समय हो, लेकिन इसमें गंभीर और उपदेशात्मक बातों से दूर रहें। इस समय में उन्हें कोई मनपसंद काम चुनने को कहें और इसमें आप अपनी हिस्सेदारी निभाएं।

2. लव नोट्स

आधुनिक जीवनशैली में बच्चों को रोज क्वॉलिटी टाइम देना असंभव है। ऑफिस में व्यस्त हों तो भी बच्चे को एहसास कराएं कि आप उसे याद करते हैं। उसे कोई प्यारा सा मेसेज भेजें। कभी-कभी लंबे टूर पर जाने से पहले उसके स्कूल बैग या लंच बॉक्स में लव नोट्स लिख कर रखें। इससे बच्चे को महसूस होगा कि आप उसकी केयर करते हैं।

3. दोस्तों के दोस्त

टीनएजर्स ही नहीं, उनके दोस्तों से भी दोस्ती का हाथ बढ़ाएं। इससे एक ओर माता-पिता बच्चों पर नजर रख सकते हैं, साथ ही उन्हें पता चलता है कि उनके दोस्त किस तरह के हैं। लेकिन उन्हें यह महसूस न होने दें कि आप उनकी प्राइवेसी में दखल दे रहे हैं। उनकी निजता को प्रभावित किए बगैर उनके बारे में सब कुछ जानें, यह नया गुर आज के माता-पिता को सीखना होगा।

4. कृपया शांति बनाए रखें

हमेशा सब अच्छा नहीं होता, कभी-कभी गुस्सा आ सकता है, कभी बच्चे सब्र का इम्तिहान भी ले सकते हैं। स्थिति कैसी भी हो, मन को शांत रखें और गुस्सा आने पर जोर से चिल्लाने से बचें। गुस्सा आए तो पांच तक गिनती गिनें और कुछ ब्रीदिंग एक्सरसाइज करें। असहज स्थिति को गुजर जाने दें। आपकी शांति बच्चे के मन में आपके प्रति सम्मान बढ़ाएगी और उसे लगेगा कि आप हर स्थिति में शांत बने रह सकते हैं। वह आपको अपना रोल मॉडल मानने लगेगा।

5. आजादी की सीमा कितनी

टीनएज में सभी आजादी चाहते हैं, लेकिन इस आजादी की सीमा क्या हो, इसे वे नहीं जानते। उन्हें हमेशा लगता है कि माता-पिता उन्हें अपेक्षित आजादी नहीं दे रहे हैं। बच्चे को आजादी दें लेकिन आजादी को उपयोग करने के लिए जरूरी अनुशासन भी सिखाएं। उसे पता होना चाहिए कि माता-पिता की अपेक्षाएं उससे क्या हैं और किस हद के बाद उसकी आजादी छिन सकती है।

6. हर दिन नया हो

बच्चों को हमेशा कुछ एक्साइटिंग चाहिए। साथ ही उन्हें पता होना चाहिए कि वे कब और क्या एक्साइटिंग करने जा रहे हैं। इससे वे ज्यादा कंफर्टेबल रहेंगे। बच्चों के साथ संबंधों को रोज नया बनाएं, ताकि भविष्य में भी वे आपका साथ पाना चाहें। यह तभी संभव है, जब आप आज उनका साथ दें।

टीनएजर्स आजादी प्यारी है

आजादी सबको प्यारी होती है। कोई भी गुलामी पसंद नहीं करता। टीनएज उम्र का वह दौर है, जहां अकसर ऐसा लगता है कि हमें जितनी आजादी चाहिए, वह नहीं मिल पा रही है। रोक-टोक अच्छी नहीं लगती, माता-पिता की जासूसी निगाहें हमेशा पीछा करती दिखती हैं। क्या करें कि आजादी भी मिले और माता-पिता का भरोसा भी-

1. राय अलग है तो क्या हुआ

माता-पिता को आपसे अलग राय रखने का अधिकार है। कोई भी दो व्यक्ति एक सी सोच नहीं रख सकते। हर किसी को अपने विचार रखने का अधिकार है। अगर आप चाहते हैं कि आपकी बात सुनी जाए तो माता-पिता भी यह चाहते हैं कि उनकी बात सुनी जाए। आप सुनेंगे-तभी वे भी मानेंगे।

2. जिद हमेशा क्यों पूरी हो

आपकी कई बातें आपके दोस्तों को अच्छी नहीं लगतीं। इसी तरह माता-पिता भी हमेशा आपकी इच्छा के अनुसार नहीं चल सकते। हर चीज का एक समय होता है और माता-पिता जानते हैं कि आपकी जिद कब सही है और कब गलत।

3. खुले दिमाग से सोचें

टीनएज में अपनी सोच सबसे बेहतर लगती है। सोच कितनी भी अच्छी हो, उससे अच्छी कोई दूसरी सोच हो सकती है। हो सकता है कि आप जिसे सही मान रहे हों, वह गलत हो। इन सब बातों पर पूरी तार्किकता के साथ सोचें और अपने दिमाग को खुला रखें, तभी सही नतीजे तक पहुंचेंगे।

4. मेरे मम्मी-पापा ही क्यों

माता-पिता की तुलना कभी भी फ्रेंड के माता-पिता से न करें। जिस तरह उनके विचार आपसे अलग हैं, उसी तरह दूसरे माता-पिता से भी उनके विचार अलग हो सकते हैं, पेरेंटिंग के उनके तरी़के भी अलग हो सकते हैं। अगर आप नहीं चाहते कि माता-पिता किसी दूसरे से आपकी तुलना करें तो माता-पिता की तुलना भी किसी और से न करें।

5. आक्रामकता किस काम की

माता-पिता आपकी हर बात मानें, इसके लिए अधीर न हों। वे कुछ बातें मानते हैं-कुछ नहीं मान सकते। इसे लेकर आक्रामकता या गुस्सा अच्छा नहीं।

6. जिम्मेदार बनें

ज्यादातर टीनएजर्स यह गलती करते हैं कि वे घर के नियमों का पालन नहीं करते। नियमों का पालन करने का अर्थ यह है कि आप जिम्मेदार हैं और जिम्मेदार बच्चा हमेशा माता-पिता का भरोसा जीतता है। इसी के बलबूते उसे आजादी भी मिलती है।

इंदिरा राठौर

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