हमारे संवाददाता, बठिंडा
महान दर्शनशास्त्री सुकरात के जन्मदिन को समर्पित विश्व दर्शनशास्त्र दिवस सरकारी राजिंदरा कालेज में बुधवार को फिलासफी एवं मनोविज्ञान एसोसिएशन द्वारा मनाया गया। इस उपलक्ष्य में आयोजित सेमिनार नई दिल्ली से डा. सुमेल सिंह सिद्धू मुख्यवक्ता रहे।
सुकरात को दिए जहर के प्याले से बात शुरू करते हुए विचारधारा और राजसत्ता के टकराव को उभारा। पंजाबी इतिहास से श्री गुरु अर्जन देव जी तथा श्री गुरु तेग बहादुर जी की शहादत और फिर 20वीं सदी में शहीद भगत सिंह की विचारशीलता का जिक्र भी उन्होंने संबोधन में किया। उन्होंने कहा कि 'आजादी व इंसाफ' के संकल्प ज्ञान प्राप्ति का केंद्र होने चाहिएं, इनका आम लोगों से संबंध जोड़ना अगला पड़ाव है। उन्होंने यूरोपीय इतिहास की उदाहरणों के जरिए वहां कापरनीकम से न्यूटन तक हुए वैज्ञानिक संकल्पों के विकास में उस समाज की गतिशीलता, सामाजिक बदलाव व राजनीतिक संस्थाओं का विकास आदि 18वीं सदी तक कैसे प्रौढ़ होता है आदि पहलुओं पर विस्तार से चर्चा की। साथ ही इन विचारों को उनके एतिहासिक संदर्भ एवं बहाव में देखने पर जोर दिया। भाषण के बाद विद्यार्थियों ने चिंतन से संबद्ध सवाल करके अपनी शंकाओं का निवारण पाया।
प्रिंसिपल विजय गोयल ने अभिनंदन किया, जबकि फिलासफी विभाग प्रमुख डा. गुरजीत सिंह मान ने कहा कि महान दर्शनशास्त्री सुकरात के जन्मदिन को समर्पित है विश्व दर्शनशास्त्र दिवस। उन्होंने कहा कि समाज की समस्याएं पहचानने व मिल-बैठकर चर्चा से हल खोजने की जरूरत है। सुकरात के कथन 'ज्ञान ही सदगुण है' को समर्पित होकर यह दिवस मनाया जाना चाहिए। मनोविज्ञान विभाग के मुखी प्रो. सीमा गुप्ता ने आभार जताते हुए विद्यार्थियों को इस तरह के खास अवसरों का लाभ लेकर अपने ज्ञान में इजाफा करने का आह्वान किया।
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