लंदन, एजेंसी। सच ही कहा गया है कि धन से बहुत कुछ खरीदा जा सकता है, लेकिन सब कुछ नहीं. अमीर घरों के बच्चे भले ही अपनी पसंद की हर चीज के साथ पलते बढ़ते हैं, लेकिन वे अपने माता-पिता के साथ बहुत कम वक्त बिता पाते हैं और उन्हें अपने अभिभावकों के प्यार से महरूम होना पड़ता है.
ब्रिटिश कोलंबिया की यूनिवर्सिटी के मनोविज्ञान के शोधकर्ताओं ने अपने नये अध्ययन में यह खुलासा किया है कि वित्तीय संकट से जूझ रहे माता-पिता के लिये जिंदगी आसान नहीं रहती और उन्हें कई तरह की कमी से जूझना पड़ता है, लेकिन अमीर माता-पिता के लिये भी स्थिति कोई खास अच्छी नहीं है. अमीर अभिभावक धन कमाने में इतने मशगूल होते हैं कि वे जिनकी बेहतरी के लिये अपनी संपत्ति जमा कर रहे होते हैं, उन्हीं बच्चों की उपेक्षा कर देते हैं.
शोधकर्ताओं के अनुसार धन और बच्चों को पालना दो अलग-अलग बाते हैं, लेकिन बहुत से लोग इन्हें एक साथ जोड़कर देखते हैं और मानते हैं कि अगर उनके पास ज्यादा धन होगा तो वे अपने बच्चों की परवरिश बेहतर कर पायेंगे. शोध रिपोर्ट से इसी सोच का खंडन किया गया है और बताया गया है कि अमीरी किसी को अच्छा माता-पिता नहीं बना सकती है.
रिपोर्ट के अनुसार धनी माता-पिता अपने काम, संपत्ति और सामाजिक स्थिति को बनाने में इतने मशगूल हो जाते हैं कि वे अपने बच्चों के पालन-पोषण को ज्यादा महत्वपूर्ण नहीं समझते. धन की वजह से माता-पिता के लक्ष्य दो भाग में बंट जाते हैं, जिसमें एक तरफ धन होता है और दूसरी तरफ बच्चों की परवरिश.
शोध में बताया गया है कि महिलायें इस चक्कर में ज्यादा आती हैं और वे धनी होने पर सबसे ज्यादा अपने बच्चों के पालन-पोषण को नजरअंदाज करती हैं. धनी माता-पिता अपने बच्चों की इच्छाओं को नजरअंदाज करते हैं और समझते हैं कि बच्चों को कीमती सामान देकर बहलाया जा सकता है.
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